जीवन में जगाती प्रल्हाद-सा आल्हाद : होली
जीवन में जगाती प्रल्हाद-सा आल्हाद : होली - पूज्य बापूजी संस्कृत में संधिकाल को पर्व बोलते है | जैसे सर्दी पूरी हुई और गर्मी शुरू होने की अवस्था संधिकाल है | होली का पर्व इस संधिकाल में आता है | वसंत की जवानी ( मध्यावस्था ) में होली…
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जीवन में जगाती प्रल्हाद-सा आल्हाद : होली