Origin, Significance and Importance of Ayurveda [Also, we will discuss about Health Benefits of Ayurveda in Hindi]:
- आयुर्वेद निर्दोष चिकित्सा पद्धति है। रोगों का पूर्ण उन्मूलन हो और कोई औषध शरीर में प्रवेश करके साईड इफेक्ट उत्पन्न न करे ऐसी यह चिकित्सा पद्धति है । आयुर्वेद में अंतरात्मा में बैठकर समाधिदशा में खोजी हुई स्वास्थ्य की कुंजियाँ हैं । एलोपेथी में रोग की खोज में तत्परता है लेकिन दवाइयों के रिएक्शन तथा साईड इफेक्ट बहुत हैं । अर्थात् दवाइयाँ निर्दोष नहीं हैं क्योंकि बाह्य प्रयोग एवं बहिरंग साधनों से खोजी हुई दवाइयाँ हैं । आयुर्वेद में अर्थाभाव, रुचि का अभाव तथा वर्षों की गुलामी के कारण भारतीय खोजों और शास्त्रों के प्रति उपेक्षा और हीन दृष्टि के कारण चरक जैसे ऋषि और भगवान अग्निवेष जैसे, महापुरुषों की खोजों का फायदा उठानेवाले उन्नत मस्तिष्कवाले वैद्य भी उतने नहीं मिल पाते और तत्परता से फायदा उठानेवाले लोग भी कम होते गये और इसका प्रमाण अभी भी दिखाई दे रहा है ।
- हम अपने दिव्य और संपूर्ण निर्दोष औषधीय उपचारों की उपेक्षा करके अपने साथ अन्याय कर रहे हैं । सभी भारतवासियों को चाहिए कि आयुर्वेद विभाग को भी एलोपेथी जितना ही महत्त्व दें और उसमें सुयोग्य व्यक्तियों की भर्ती करें । आप विश्वभर के डॉक्टरों का सर्वे करके देखें तो एलोपेथी का कोई डॉक्टर शायद ही मिले जो 80 साल की उम्र में पूर्ण स्वस्थ, प्रसन्न, निर्लोभी हो । लेकिन आयुर्वेद के कई वैद्य हमने देखे जो 80 साल की उम्र में निःशुल्क उपचार करके दरिद्रनारायणों की सेवा करनेवाले, भारतीय संस्कृति की सेवा करनेवाले स्वस्थ सपूत हैं ।
- हमें बताया गया कि 2000 से भी ज्यादा दवाइयाँ जिन पर अमेरिका और जापान में ज्यादा हानिकारक होने के कारण बिक्री पर रोक लगाई गई है वे ही दवाइयाँ अब हमारे भारत में बिक रही हैं । तटस्थ नेता स्वर्गीय मोरारजी भाई देसाई उन्हीं दवाइयों पर बन्दिस लगाना चाहते थे, मंगर धन के अंधे स्वार्थ में मानवस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करनेवाले दवाई बनानेवाली कंपनियों के संगठन ने रोक नहीं लगाने दिया । ऐसा हमने और आपने सुना है ।
- अतः हे भारतवासियों ! केमिकलों से और कई विकृतियों से भरी हुई सब दवाइयों को अपने शरीर में डालकर अपने भविष्य को अंधकारमय न बनायें । अब विदेशी लोग भारतीय औषधियों की प्रशंसा करने लगे हैं । तब हम भी थोड़ी प्रशंसा कर लेते हैं । तन तो हमारा भारतवासी है मगर दिल-दिमाग विदेशी संस्कार, गुलामी के संस्कार से भरा पड़ा है । रॉक, पॉप और डिस्को म्युजिक से जीवनशक्ति का ह्रास होता है । भारतीय संगीत से जीवन-शक्ति का विकास होता है । ‘हरि’ शब्द के उच्चारण से यकृत (लीवर), गुर्दे (किडनी) और आँतों पर बड़ी अच्छी असर पड़ती है ऐसा अब डॉ. डायमंड और डॉ. लिवेलिजीया कहते हैं । कीर्तन में मन आनंदित होता है । स्वास्थ्य पर उसके शब्दों का अच्छा प्रभाव होता है ।
- अतः शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार पद्धति और भगवान के नाम का आश्रय लेकर अपना शरीर स्वस्थ रखो, मन प्रसन्न रखो और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद पाकर शीघ्र ही महान् आत्मा, मुक्त आत्मा बन जाओ ।