Disadvantages of Fast Food in Hindi [Side Effects of Junk Food on Body]:
आजकल आम जनता में स्वास्थ्य के लिए हानिकर एवं घातक रसायनों से बने हुए बाजारू ‘कोल्डड्रिंक’ पीने में अधिक रुचि ली जाने लगी है । जबकि इसमें आर्थिक हानि के साथ ही स्वास्थ्य की भी अत्यंत हानि होती है ।
कोका कोला, पेप्सी आदि प्रसिद्ध कोल्डड्रिंक्स में डी.डी.टी., लीन्डेन, क्लोरपायरीफोस, मेलेथियोन आदि जहरीले रसायन होते हैं । डी.डी.टी. से कैंसर होता है, रोगप्रतिकारक शक्ति का ह्रास होता है और जातीय विकास में विकृति होती है । लीन्डेन से कैंसर होता है, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को हानि होती है । क्लोरपायरीफोस गर्भस्थ शिशु को हानि करता है, भावी पीढ़ियों को आनुवांशिक विकृतियों का शिकार बनाता है ।
कोल्डड्रिंक्स शरीर से कैल्शियम की मात्रा सोंख लेते हैं । इस कारण बच्चों में जरा-सी चोट में भी हड्डी टूटने की घटनाएँ देखने में आ रही हैं ।
मनुष्य के दाँत जो अग्निदाह संस्कार करने या सालों तक जमीन में गाड़ने पर भी जलते या गलते नहीं हैं, उन्हें कोल्डड्रिंक में डालकर रखें तो केवल 20 दिन में पूर्णरूप से घुल जाते हैं तो ये कोल्डड्रिंक्स पेट में जाकर नाजुक आँतों को कितना भारी नुकसान पहुँचाते होंगे !
कोल्डड्रिंक से गैसयुक्त डकारें, पेट में दाह, एसिडिटी आदि बीमारियों के शिकार होते हैं । इस पेय को टिकाये रखने हेतु प्रयुक्त कार्बन डाईऑक्साइड अगर शरीर से बाहर नहीं निकला तो मृत्यु की भी संभावना होती है ।
वातावरण सीसे की मात्रा बढ़ जाय तो यह श्वास द्वारा शरीर में प्रवेश कर मस्तिष्क, मांसपेशियों, स्नायुतंत्र तथा यकृत के लिए हानिकारक साबित होता है । वहीं सीसा कोल्डड्रिंक में करीब 0.4 पी.पी.एम. की मात्रा में डाला जाता है, जबकि वातावरण में 0.2 पी.पी.एम. बढ़ जाय तो भी घातक सिद्ध होता है । इसीलिए सरकार ने सीसारहित पेट्रोल के उपयोग का नियम बनाया है ।
बासी पानी, चर्बी, स्वास्थ्यशोषक रासायनिक द्रव्यों से बने कृत्रिम रंग, कृत्रिम मिठास और फलों की केवल दिखावटी खुशबू व स्वाद का एहसास करानेवाले विभिन्न रसायनों आदि से बने आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक्स, फास्टफूड हमारे बालों एवं युवानों को दिनोंदिन खोखला बना रहे हैं । प्राकृतिक आहार दूध, फल, सब्जियाँ आदि को नजरअंदाज करने के कारण उनका शरीर हृष्ट-पुष्ट होने की अपेक्षा चरबी एवं मोटापे का ही शिकार होता जा रहा है ।
फास्ट फूड से मोटापा होता है जिसके कारण हाई बी.पी (उच्च रक्तचाप), हृदय रोग, डायबिटीज आदि रोग होते हैं । फास्ट फूड खानेवाले के भूख का क्रम गड़बड़ा जाता है जिसे ‘ईटींग डिसअर्डर’ (Eating disorder) कहते हैं। इससे वह व्यक्ति भूख न लगने पर भी खाता रहता है । फास्ट फूड में हानिकारक जहरीले रसायन मिलाये जाते हैं । जैसे कि बेन्जोइक एसिड जिसकी दो ग्राम मात्रा बंदर या कुत्ते को दी जाय तो वह मर जाता है । मेग्नेशियम क्लोराईड और कैल्शियम साईट्रेट से आँतों में घाव हो जाते हैं, मसूड़ों में घाव हो सकते हैं एवं किडनी क्षतिग्रस्त होती है । एरिथ्रोसीन से अन्ननली और पाचनतंत्र को नुकसान होता है । फास्ट फूड से ई कोलाई, सालमोनेला, सुजेला, क्लेवसेला आ जीवाणुओं का संक्रमण होने से न्युमोनिया, बेहोशी, तेज बुखार, मस्तिष्क ज्वर, दृष्टिदोष, स्नायुविकार, हार्ट अटैक आदि बिमारियाँ होती हैं ।
न्युजर्सी स्थित ‘प्रिन्सटन युनिवर्सिटी’ के मनोवैज्ञानिक जोन होवेल कहते हैं, “पीजा, बर्गर, होट डोग, चाउमिन आदि फास्ट फूड से मस्तिष्क की डोपामीन प्रणाली सक्रिय हो जाती है जो नशीली दवाइयों के लक्षण हैं ।”
उत्तम स्वास्थ्यप्रदायक, रस एवं स्वाद से भरपूर, विटामिन्स-कैलरी के साथ ही चुस्ती-फुर्ती देनेवाले दूध, फल, सब्जी आदि प्राकृतिक आहार को त्यागकर केवल रसायनों एवं घृणित प्रक्रिया से बने फास्टफूड, कोल्डड्रिंक्स ही क्या हमारा विवेकयुक्त खान-पान है ? दिन भर की मेहनत से कमाये रुपयों को क्या हम अपने स्वास्थ्य के शत्रु बनने में ही खर्च करेंगे ?
– डॉ. प्रेमजी मकवाणा, एम.बी.बी.एस.