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Importance of Mother Breast Milk for Child| Maa ka Doodh Ke Labh

आयुर्वेद व आधुनिक विज्ञान – दोनों के अनुसार नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही सबसे उत्तम व सम्पूर्ण आहार । महर्षि वाग्भट्टाचार्यजी कहते हैं :

मातुरेव पिबेत्स्तन्यं तद्ध्यलं देहवृद्धये । (अष्टांगहृदयम्, उत्तरस्थानम् : 1.15)

शिशु के पोषण के लिए मातृदुग्ध परम श्रेष्ठ है । गर्भावस्था में गर्भ का पोषण माँ के आहाररस के जिस अंश से होता है, प्रसूति के पश्चात् उसी अंश से स्तनों में दूध की निर्मिति होती है, अतः बालक के लिए वह दूध जन्म से ही उसकी प्रकृति के अनुकूल हो जाता है । स्तनपान शिशु को पौष्टिक आहार के साथ-साथ माँ का प्रेम व वात्सल्य भी प्राप्त होता है, जो उसके संतुलित विकास के लिए अति आवश्यक होता है । परंतु वर्तमान में यह मान्यता बन गयी है कि स्तनपान कराने से शारीरिक सुंदरता कम हो जाती है । इस डर से कुछ माताएँ बच्चे को स्तनपान नहीं करातीं, बोतल से दूध पिलाती हैं । परिणामस्वरूप बच्चे का पूर्ण विकास नहीं होता और उन माताओं को स्तन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियाँ होने की सम्भावना बढ़ जाती है । विभिन्न प्रयोगों के बाद अब वैज्ञानिक भी तटस्थता से स्वीकार करने लगे हैं कि ‘स्तनपान कराने से माँ व बच्चे दोनों को लाभ होता है ।’

Benefits of Breast Milk for Baby

  1. स्तनपान न करनेवाले बच्चों की अपेक्षा स्तनपान करनेवाले बच्चों का पोषण उच्च स्तर का होता है ।
  2. जो बच्चे ज्यादा समय तक माँ का दूध पीते हैं, उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। वे ज्यादा कुशाग्र बुद्धि के होते हैं ।
  3. माँ और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है ।
  4. प्रसूति के पश्चात् माता के स्तनों से एक पीला-सा द्रव पदार्थ निकलता है, जिसे ‘कोलोस्ट्रम’ कहते हैं । इसे शिशु को पिलाना लाभकारी है क्योंकि इसके सेवन से शिशु के पेट में संचित अब तक की गंदगी दूर हो जाती है और उसकी रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है । प्रोटीनयुक्त यह द्रव शिशु की पाचनक्रिया को भी सक्रिय कर देता है ।
  5. माँ के दूध में रोगप्रतिकारक तत्त्व भरपूर होते हैं, जो शिशु की हृदयरोग, मोटापा, मधुमेह, दमा एवं अन्य कई रोगों से सुरक्षा करते हैं। इनसे संक्रामक रोगों का खतरा 50 से 95 प्रतिशत कम होता है ।
  6. एक महीने से एक साल की उम्र तक शिशु में ‘अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण’ का खतरा रहता है । माँ का दूध शिशु को इससे बचाता है ।

Benefits of Breast Milk for Mom [Mother]

  1. स्तनपान कराते समय माँ के शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन स्रावित होता है, जो गर्भाशय को सिकोड़कर प्रसूति के पूर्व के आकार का कर देता है । यह हार्मोन तनावमुक्ति तथा सुख-बोध की अनुभूति भी प्रदान करता है ।
  2. जितने लम्बे समय तक माँ शिशु को अपना दूध पिलाती है, उतनी अधिक अंडाशय व स्तन के कैंसर जैसे गम्भीर रोगों से उसकी रक्षा होती है । साथ ही हृदयरोग, मधुमेह तथा ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) के खतरे कम हो जाते हैं ।
  3. जो महिलाएँ स्तनपान नहीं करातीं या जल्दी बंद कर देती हैं, उनके मानसिक अवसाद से ग्रस्त होने की सम्भावना अधिक होती है ।
  4. यह प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है । इससे प्रसव के बाद पेट का लटकाव भी नहीं होता ।
    लंदन के ‘ग्रेट ओरमंड स्ट्रीट’ अस्पताल के शोधकर्ताओं ने 13 से 16 वर्ष तक के 216 बच्चों पर एक सर्वेक्षण किया । सर्वेक्षण में उन बच्चों को शामिल किया गया था, जो समय से पहले पैदा हो गये थे परंतु उन्हें माँ के दूध का भरपूर लाभ मिला था । विशेषज्ञ यह देखकर दंग रह गये कि समय से पहले जन्म लेने पर भी उन बच्चों को अभी तक किसी भी खतरनाक रोग का सामना नहीं करना पड़ा । क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में माँ के दूध के द्वारा रोगों का प्रतिकार करने की शक्ति मिल गयी थी ।
    शिशु एक-डेढ़ साल का होने तक उसे दिन में 5-6 बार स्तनपान कराना शिशु के पूर्ण मानसिक व शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है । यदि बच्चा कभी बीमार हो तो भी माँ अपना दूध उसे जरूर पिलाये । माँ का दूध बच्चे के लिए वास्तव में कवच-कुंडल ही है ।

स्तनपान विधि : How to Breastfeed a Newborn in Hindi

  • माँ का दूध बच्चे के लिए जीवन है । प्रसूति के बाद माताएँ बच्चे को लेटे-लेटे दूध पिलायें परंतु 10 दिन बाद तो अच्छे-से गोद में लेकर ही पिलाने की आदत डालें । बच्चे को एकांत में प्रेम से, शांत चित्त से ईश्वर-स्मरण करते-करते स्तनपान कराना चाहिए । दूध पिलाने से पहले माताएँ थोड़ा पानी पी लें, इससे दूध जल्दी पच जाता है । स्तनपान से पूर्व गुनगुने पानी से स् तथा बच्चे के होंठ व मुँह साफ करके बच्चे को दूध पिलायें । स्तनपान कराने के बाद बच्चे का सिर कंधे पर आराम से रखकर उसकी पीठ पर हलके हाथ से थपकी दें ।
  • माँ के स्तन पर यदि चीरें पड़ जायें तो मक्खन या अरंडी का तेल लगायें । टंकण खार (बोरिक पाउडर) 1 भाग व मक्खन 4 भाग – दोनों को मिलाकर मरहम बना के लगायें । इससे 2-3 दिन में आराम हो जाता है । स्तनपान कराने से गर्भाशय अपनी मूल स्थिति में जल्दी आता है ।

मातृदुग्धवर्धक प्रयोग: Best Breastfeeding Tips For New Mothers

  1. 250 मि.ली. दूध में 125 मि.ली. पानी व 2 से 4 ग्राम शतावरी चूर्ण डालकर उबालें । पानी वाष्पीभूत हो के दूधमात्र शेष रहने पर मिश्री मिलाकर माताएँ उसे सुबह-शाम पियें । शतावरी कल्प भी ले सकते हैं ।
  2. जीरा, सौंफ व मिश्री समभाग लेकर पीस के रखें । एक चम्मच मिश्रण दूध के साथ दिन में दो बार लें ।
  3. जिन माताओं के शरीर में गर्मी ज्यादा हो, वे भोजन के बाद सौंफ चबाकर खायें और जिन्हें सर्दी जल्दी लग जाती है, वे भोजन के बाद तक 2 ग्राम बालंतशेपा खायें ।
  4. शोक, क्रोध, असंतोष, अति श्रम व अधिक उपवास – ये ‘दूध कम होने के मुख्य कारण हैं ।

Best Food/ Diet for Breastfeeding Mothers in Hindi

  • शिशु को दूध पिलाने के दिनों में माताएँ अपने आहार की तरफ विशेष ध्यान दें । दूध, घी, मक्खन, ताजे फलों का रस (विशेषतः अंगूर का), चावल या चन्द्रशूर की खीर, गेहूँ या सिंघाड़े के आटे का हलवा, साठी के चावल का भात, मेथीदाने के लड्डू, खजूर, नारियल आदि दुग्धवर्धक पदार्थों का उपयोग विशेष रूप से करें । सब्जियों में पेठा (जो पककर पीला हो गया हो), लौकी, मेथी, करेला, बथुआ, चौलाई लें । भोजन हमेशा ताजा, तरल व सुपाच्य लें । बासी, तीखे, रूखे व सूखे पदार्थ एवं भारी खुराक न लें। भोजन के बाद थोड़ी-सी अजवायन चबाना भी अच्छा है ।
  • दिन में भोजन करके सोना नहीं चाहिए, इससे दूध विकृत हो जाता है। प्रसव के बाद 1 माह तक 20 मि.ली. दशमूल क्वाथ या दशमूलारिष्ट समभाग पानी में मिलाकर भोजन के बाद अवश्य लेना चाहिए ।

मातृदुग्ध के अभाव में क्या करें ?

  • किसी कारण माता बच्चे को दूध पिलाने में सक्षम न हो तो बच्चे को देशी गाय का दूध पिलायें । गाय के दूध में केसिनोजेन नामक प्रोटीन तथा सोडियम का अंश माँ के दूध से अधिक मात्रा में होने के कारण यह शिशुओं के लिए पचने में भारी होता है । इसलिए दूध को औषधियों से सिद्ध करके पिलायें ।
  • समभाग सोंठ, वायविडंग व मिश्री पीसकर इन्हें दूध-मसाला के रूप में बना के रखें । प्रथम 3 मास तक 100 मि.ली. दूध में 100 मि.ली. पानी व 1/4 से 1 ग्राम मसाला डालकर 5 मिनट उबालें । फिर स्वच्छ सूती वस्त्र की 4 तह करके दूध को छानकर कटोरी में ले के बच्चे को चम्मच से पिलायें । 3 से 6 माह तक 2 भाग दूध में 1 भाग पानी मिलाकर उपरोक्त विधि से उबाल के दें । 6 माह के बाद दूध में चौथाई मात्रा में पानी मिलाकर उबालें । पानी वाष्पीभूत हो के दूधमात्र शेष रहने पर छान के पिलायें ।
  • मसाले की मात्रा प्रतिमाह थोड़ी-थोड़ी बढ़ाते जायें ।
  • 2 बार गोदुग्धपान या स्तनपान कराने में ढाई से तीन घंटे का अंतर रखें ।
  • यथासम्भव रात को दूध नहीं पिलायें अथवा 5-6 घंटे के अंतर से पिलायें ।
  • दूध पिलाने के लिए प्लास्टिक की बोतल का उपयोग न करें । वस्त्र व बर्तनों की स्वच्छता तथा पवित्रता का ध्यान रखें ।
  • विशेष : गिलोय व नागरमोथ का 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह लेने से अथवा (आश्रम या समिति के सेवाकेन्द्र से प्राप्त) रसायन चूर्ण खाने से माँ का दूध बालक के लिए गुणकारी हो जाता है ।
  • माँ स्नान से पूर्व स्तनों पर अरंडी के तेल की नरमी से मालिश करे ।
  • अरंडी के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी को स्तनों पर डाले एवं उन्हीं उबले हुए पत्तों को स्तनों पर बाँधे । इससे सूखा हुआ दूध भी उतरने लगता है ।
  • स्तनों के पकने, उनमें गाँठ होने, चीरें, सूजन अथवा लाल होने पर अरंडी के पत्तों पर अरंडी का तेल लगाकर थोड़ा गर्म करके बाँधने से लाभ होता है ।

दूध बंद करने के लिए : How to Stop Breastfeeding

  • कुटज छाल का 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में 2-3 बार पानी से लेने पर दूध आना बंद हो जाता है ।
  • प्रसव के बाद बच्चा जब तक स्तनपान करता रहे, तब तक तो सम्भोग (पति-पत्नी का व्यवहार) नहीं करना चाहिए ।