Pineal Gland Location & Function. Agya Chakra/ Third Eye Activation in Hindi:
- पीनियल ग्रंथि से आशय मानव शरीर में निहित एक ग्रंथि विशेष से है। यह ग्रंथि भूमध्य में अवस्थित होती है । यह अत्यंत छोटी किंतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण ग्रंथि है । वस्तुतः लाखों वर्ष पूर्व मानव-मस्तिष्क के विकास में इस ग्रंथि की अति सक्रिय भूमिका रही है। अतः उस समय लोगों की शारीरिक और आध्यात्मिक क्षमता कहीं अधिक थी, भावनाओं पर अधिक नियंत्रण था, किंतु समय के क्रम से यह ग्रंथि – हास को प्राप्त हुई । आज अवशेषी यह एक लघु-ग्रंथि है और यदि हम इसकी सुरक्षा के समुचित प्रबंध नहीं कर सके तो कुछ हजार वर्षों में यह पूर्णतः नष्ट हो जायेगी ।
- योग में इस ग्रंथि का सम्बन्ध आज्ञाचक्र से है । रहस्यवादियों और तान्त्रिकों ने इसे तृतीय नेत्र माना है तथा दर्शनशास्त्री इसे परा मन कहते हैं। यह पीनियल ग्रंथि बच्चों में बहुत क्रियाशील होती है किंतु 8 से 10 वर्ष की अवस्था प्राप्त होते-होते उत्तरोत्तर निष्क्रिय होने लगती है और बड़े लोगों में तो अत्यल्प शेष रह जाती है या जीवन में इसका कार्य ही नहीं रह जाता । यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है क्योंकि योग में यह ग्रंथि मस्तिष्क को नियन्त्रित एवं व्यवस्थित रखनेवाला केन्द्र है ।
- जिस प्रकार हवाई अड्डे पर नियंत्रक टावर होता है, उसी प्रकार यह पीनियल ग्रंथि मानव-मस्तिष्क का निर्देशक, नियंत्रक एवं व्यवस्थापक टावर है । योग में इसे ‘आज्ञाचक्र’ कहते हैं । ‘आज्ञा’ शब्द अपने आपमें नियंत्रण एवं आदेश-पालन के अर्थ को व्यक्त करता है । जब पीनियल ग्रंथि का हास प्रारम्भ होता है तो पीयूष ग्रंथि सक्रिय हो जाती है। इससे मनोभाव तीव्र हो जाते हैं । यही कारण है जिससे कई बच्चे भावनात्मक रूप से असंतुलित हो जाते हैं और किशोरावस्था में या किशोरावस्था प्राप्त होते ही व्याकुल हो जाते हैं एवं न करने जैसे काम कर बैठते हैं । इसका मस्तिष्क की क्रियाशीलता पर संतुलित प्रभाव होता है जो सम्पूर्ण मस्तिष्क को ग्रहणशील स्थिति में रखता है । जिनकी यह ग्रंथि ज्यादा दिन क्रियाशील नहीं रह पाती उन बच्चों से वे बच्चे अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा ग्रहणशील पाये जाते हैं, जिन बच्चों में यह ग्रंथि नियंत्रित और सुरक्षित होती है ।
How to Activate Pineal Gland [Agya Chakra]
- दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एड्रिनल ग्रंथि बच्चों के नैतिक आचरण में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है । अधिकांशतः अपराधी मनोवृत्तिवाले बच्चों की एड्रिनल ग्रंथि आवश्यकता से अधिक क्रियाशील होती है । बच्चों को शिक्षा देने के क्रम में यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है ।
- एड्रिनल ग्रंथि नियंत्रित रहे, आवेगों, आवेशों एवं अपराधों में मन न गिरे, इसलिए पीनियल ग्रंथि (आज्ञाचक्र) का विकास अत्यंत आवश्यक है, हितकारी है एवं बच्चों के लिए सर्वोपरि सहायक केन्द्र है ।
- पीनियल ग्रंथि के विकास की विधि ‘विद्यार्थी तेजस्वी तालिम शिविर’ में बतायी जाती है, प्रयोग कराये जाते हैं । बालकों के हितैषियों को चाहिए कि उन्हें अथाह सम्पत्ति, अथाह अधिकार की अपेक्षा अथाह समझ एवं अथाह आंतरिक सामर्थ्य देनेवाले इस प्रयोग में उन्हें आगे बढ़ायें, प्रोत्साहित करें । इससे विद्यार्थियों का मंगल होगा, जीवन के जिस क्षेत्र में होंगे अच्छी तरक्की कर पायेंगे । आवेगों, आवेशों और नकारात्मक विचारों से बचेंगे। सफलताएँ उनके चरण चूमेंगी। कभी-कभार विफलता आ भी गयी तो वे समता के सिंहासन पर अचल रहेंगे ।
- यदि देशवासी इस समर्थ्यदायी तीसरे नेत्र का लाभ उठाने की कला सीख लें तो भारत हँसते-खेलते फिर से विश्वगुरु बन जायेगा ।