How to Perform Body Massage and Benefits of Malish in Hindi:
- शरीर में मालिश द्वारा प्रविष्ट 10 ग्राम तेल 50 ग्राम गाय का घी हजम कर लेने के बराबर अंगों को शक्ति देता है । इस तथ्य से ही मालिश की महत्ता उजागर हो जाती है ।
- तेल-मालिश से शरीर सुदृढ़ व बलवान बनता है, शरीर में कष्ट व आघात सहने की शक्ति आती है तथा अकाल वार्धक्य से रक्षा होकर दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।
- तेल एक उत्तम वातशामक है । तेल-मालिश से मांसपेशियों का बल बढ़ता है, शरीर में लचीलापन व स्फूर्ति आती है ।
- शीतकाल में सरसों के तेल से, ग्रीष्मकाल में चंदनबला या क्षीरबला के तेल से एवं वर्षा ऋतु में तिल के तेल से मालिश करने से विशेष लाभ होता है ।
Malish Ke Labh [Benefits of Body Massage]
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दीप्तान्तराग्निः परिशुद्ध कोष्ठः प्रत्यग्रधातुः बलवर्णयुक्तः । दृढेन्द्रिय मन्दजरः शतायुः स्नेहोपसेवी पुरुषो भवेत्तु ॥
- ‘नित्य मालिश करनेवाले व्यक्ति की जठराग्नि प्रज्वलित हो जाती है, आमाशय की शुद्धि होती है। रस, रक्तादि समग्र धातुएँ बल व वर्ण से युक्त होती हैं । पंच ज्ञानेंद्रियाँ व पंच कर्मेंद्रियाँ दृढ़ व ज्ञान-ग्रहण में तत्पर हो जाती हैं । वार्धक्य की प्रक्रिया मंद हो जाती है व व्यक्ति शतायु हो जाता है ।’ (सुश्रुत, चिकित्सास्थान : 31)
- मालिश से त्वचा स्वच्छ, नीरोग, झुर्रीरहित, स्निग्ध और कांतिपूर्ण बनती है तथा स्नायु बलवान हो जाते हैं ।
- रक्त संचार अच्छी तरह से होता है, जिससे शरीर में शक्ति और स्फूर्ति बनी रहती है । पसीने व मल-मूत्र सम्बंधी विकार दूर हो जाते हैं ।
- पाचक अंगों को बल मिलता है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता है और पेट भी साफ रहता है ।
- शरीर दुर्बल हो तो पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है और यदि मोटा हो तो मोटापा कम हो जाता है ।
- फेफड़ों, गुर्दों और आँतों को बल मिलता है, जिससे वे शरीर से दूषित पदार्थों को तेजी से बाहर निकालकर उसे स्वस्थ बनाये रखते हैं ।
- शरीर के सभी अवयवों को स्निग्धता (चिकनाई) प्राप्त होती है, अतः उनमें लचीलापन बना रहता है और शरीर का विकास भलीप्रकार होता है
- त्वचा द्वारा शरीर को सीधी खुराक मिलने से उसका पोषण शीघ्रता से होता है
- अनिद्रा, शारीरिक पीड़ा, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, हाथ-पैरों में कंपन, वातरोग आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं ।
- शरीरस्थ प्रकुपित वायु का नाश हो जाता है ।
- तेल-मालिश से न केवल स्वास्थ्य की रक्षा होती है वरन् रूप व यौवन की भी रक्षा होती है । ‘चरक संहिता’ में आता है कि तेल-मालिश करने से त्वचा कोमल, पुष्ट एवं देखने में सुंदर हो जाती है । शरीर बलवान और प्रियदर्शी हो जाता है । त्वचा में बढ़ती उम्र के लक्षण बहुत कम प्रकट होते हैं ।
How to do Full Body Massage [Malish Kaise Kare]
- भोजन के तीन घंटे बाद जब समय मिले तब, रात्रि अथवा दिन में जब अनुकूल हो मालिश की जा सकती है । पैरों के तलुओं में उँगलियों से एड़ियों तक, फिर पैरों के पंजों से घुटनों तक, घुटनों से जाँघों तक, हाथ की उँगलियों तथा हथेलियों से कंधों तक, फिर पेट की, छाती की, चेहरे व सिर की, गर्दन व कमर की इस क्रम से मालिश करनी चाहिए ।
- मालिश करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातःकाल का होता है । शौचादि से निवृत्त होकर मालिश करना उचित है । मालिश करके टहलने के बाद थोड़ा विश्राम कर स्नान करें ।
- सिर के बाद कान और पैरों को तेल की विशेष आवश्यकता होती है । कान में तेल डालने से कान के रोग नहीं होते, बहरापन नहीं आता, कर्कश और भारी शोरगुल में भी उससे होनेवाले दुष्प्रभावों से कान के पर्दे की रक्षा होती है तथा वातजन्य रोग नहीं होते ।
- पैरों के तलुओं में घी अथवा तेल की मालिश करने से थकान मिटती है तथा शांत व गहरी नींद आती है । पैरों, घुटनों व जोड़ों का दर्द तथा अन्य व्याधियाँ नहीं होतीं, एड़ियाँ फटतीं नहीं बल्कि मुलायम रहती हैं ।
- प्रतिदिन स्नान करने से पूर्व दोनों पैरों के अँगूठों में सरसों का शुद्ध तेल लगाने से वृद्धावस्था तक नेत्रों की ज्योति कमजोर नहीं होती । सुबह नंगे पैर हरी घास पर चलने से तथा आँवला खाने से भी नेत्रज्योति बढ़ती है ।
- सिर की मालिश : प्रतिदिन सिर में केवल नारियल का तेल अथवा उसमें आँवला एवं अन्य जड़ी-बूटियाँ डालकर बनाया गया तेल लगाकर लगभग 4-5 मिनट तक हलकी-हलकी मालिश अवश्य करनी चाहिए । इससे बाल मुलायम, काले, घने व लंबे होते हैं और समय से पहले सफेद नहीं होते । सिर में रूसी नहीं होती तथा बाल झड़ते नहीं ।
- लोग विज्ञापन देखकर बाजारू तेलों से प्रभावित हो जाते हैं और उनकी कंपनियों द्वारा उन्हें लूटा जाता है । बाजारू तेलों में हानिकारक केमिकल्स और एसेंस डले होते हैं । ऐसे तेलों से बचें और अपने को लुटने से बचायें । लाखों-करोड़ों रुपये विज्ञापन में खर्च करनेवाली ये कंपनियाँ उनका तेल खरीदनेवालों का तेल नहीं निकालेंगी तो क्या करेंगी ?
- फैशन पर बलिहार जानेवाले आज के अधिकांश युवक-युवतियाँ बालों को रूखा रखना ही सौंदर्यवर्धक मानकर सिर में तेल नहीं लगाते, जो आगे चलकर कई रोगों को आमंत्रण देता है ।
- सोमवार, बुधवार तथा शनिवार को मालिश करने से कई बीमारियाँ छू हो जाती हैं तथा चेहरे का सौंदर्य बढ़ने लगता है ।
Precautions [Maalish Kab Nahi Karni Chaiye]
- महर्षि वाग्भट्ट का कथन है : वर्जोऽभ्यंगं कफग्रस्तं कृतसंशुद्ध्यजीर्णभिः ।
- ‘आमजन्य दोषों की स्थिति में, कफ से पीड़ित होने पर, वमन-विरेचन करके जिसने अपने शरीर का शोधन किया हो उस व्यक्ति को और जिस दिन अजीर्ण हो उस दिन मालिश नहीं करनी चाहिए ।’ (अष्टांगहृदय)
- हृदयरोगी, दाद-खाज-कोढ़ जैसे त्वचारोगों से पीड़ित, क्षयरोगी व अति कमजोर व्यक्ति को मालिश नहीं करनी चाहिए ।
- शरीर पर तेल लगाने के सम्बंध में कुछ नियम पुराणों और धर्मशास्त्रों में दिये गये हैं :
- प्रतिपदा, षष्ठी, अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन तथा रविवार, मंगलवार, गुरुवार एवं शुक्रवार को शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए । (मार्कडेय पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, विष्णु पुराण)
- रविवार को पुष्प, मंगलवार को मिट्टी, गुरुवार को दूर्वा और शुक्रवार को गोमय डालकर तेल लगाने से दोष नहीं लगता । (निर्णयसिंधु)
- जो प्रतिदिन तेल लगाता हो उसके लिए किसी भी दिन तेल लगाना दोषयुक्त नहीं है । (शिव पुराण)
- सरसों का तेल ग्रहणकाल को छोड़कर अन्य किसी भी दिन दूषित नहीं होता । सुगंधयुक्त तेल, फूलों से वासित तेल और अन्य द्रव्य जिसमें मिलाया गया हो, ऐसे तेल सब दिन लगाये जा सकते हैं । (शिव पुराण, भगवंत भास्कर)