Hartalika Teej Significance & Importance of Teej Vrat in Hindi
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को सौभाग्यवती महिलाएँ अखंड सौभाग्य ( पति की दीर्घायु) के लिए व कुमारी कन्याएँ उत्तम वर प्राप्ति के लिए ‘हरितालिका तीज’ का व्रत करती हैं ।
Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi
इस व्रत के संदर्भ में कथा आती है कि पार्वतीजी भगवान शिव को पतिरूप में प्राप्त करने का निश्चय करके तपस्या कर रही थीं । उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान शंकर ने सप्तर्षियों को उनके पास भेजा । सप्तर्षियों ने पार्वतीजी के पास आकर शिवजी में कई अवगुण गिना डाले और साथ ही भगवान नारायण को सद्गुणों की खान बताकर उनसे विवाह करने का प्रस्ताव रखा परंतु पार्वतीजी अपने निश्चय पर दृढ़ रहीं, उन्होंने कहा : “नारद बचन न मैं परिहरऊँ…
गुर के बचन प्रतीति न जेही ।
सपनेहुँ सुगम न सुख सिधि तेही ॥
मैं नारदजी के वचनों को नहीं छोडूंगी, चाहे घर बसे या उजड़े इससे मैं नहीं डरती । जिसको गुरु के वचनों में विश्वास नहीं है, उसको सुख और सिद्धि स्वप्न में भी सुगम नहीं होती ।”
पार्वतीजी आगे कहती हैं : “मेरा तो करोड़ जन्मों तक यही हठ रहेगा कि या तो शिवजी को वरूँगी, नहीं तो कुमारी ही रहूँगी । स्वयं शिवजी सौ बार कहें तो भी नारदजी के उपदेश को न छोडूंगी ।” अपने लक्ष्य पर दृढ़ता और गुरुवचनों में अटूट श्रद्धा के बल पर पार्वतीजी का मनोरथ पूरा हुआ । देवी पार्वती ने भाद्रपद शुक्ल तृतीया हस्त नक्षत्र में आराधना की थी, इसीलिए इस तिथि को यह व्रत किया जाता है । यह पर्व संयम, त्याग, धैर्य तथा एकनिष्ठ पातिव्रत-धर्म जीवन में लाने की शिक्षा तो देता ही है, साथ ही शिष्य की अपने गुरु के वचनों में कैसी निष्ठा होनी चाहिए यह सीख भी देता है ।
इस दिन बहुत-सी महिलाएँ फलाहार तो दूर, जल तक नहीं लेतीं । प्रातःकाल तिल और आँवले के बारीक चूर्ण से स्नान करने के बाद सौभाग्यप्राप्ति व ईश्वरप्रीति के लिए व्रत करने का संकल्प किया जाता है ।
इस व्रत में गणेशजी के पश्चात् शिव-पार्वती का पूजन किया जाता है । तत्पश्चात् पार्वतीजी की तरह सद्गुरु वचनों का श्रवण-चिंतन और उस अनुसार ईश्वरभक्ति के मार्ग पर अडिगता से चलने का संकल्प किया जाता है । इस दिन उपवास रखकर मौन, जप, ध्यान, जागरण का लाभ लेवें ।