Pregnancy diet chart month by month [Garbhavastha Me Kya Khana Chaiye]
- हर महीने में गर्भ-शरीर के अवयव व धातुएँ आकार लेती हैं, अतः विकासक्रम के अनुसार मासानुमासिक कुछ विशेष आहार लेना चाहिए ।
1st Month Pregnancy Me Kya Khana Chaiye
- गर्भधारण का संदेह होते ही गर्भिणी सादा मिश्रीवाला सहज में ठंडा हुआ दूध उचित मात्रा में पाचनशक्ति के अनुसार तीन घंटे के अंतराल से ले अथवा सुबह-शाम ले। इसके साथ सुबह 1 चम्मच मक्खन में रुचि अनुसार मिश्री व काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर ले एवं हरे नारियल की चार चम्मच गिरी के साथ 2 चम्मच सौंफ खूब देर तक चबाकर खाये । इससे बालक का शरीर पुष्ट, सुडौल व गौरवर्ण का होगा ।
2nd Month Pregnancy Me Kya Khana Chaiye
- इसमें शतावरी, जीवन्ती, अश्वगंधा, मुलहठी, बला आदि मधुर औषधियों में से एक या अधिक का 1 ग्राम चूर्ण 200 मि.ली. दूध में 200 मि.ली. पानी मिलाकर मध्यम आँच पर उबालते हुए पानी का भाग जल जाने पर सेव करे । सवा महीना होने पर आश्रम द्वारा दी औषध से 3 मास तक पुंसवन कर्म करे ।
3rd Month Pregnancy Me Kya Khana Chaiye
- इस महीने में दूध को ठंडा कर 1 चम्मच शुद्ध घी व 3 चम्मच शहद (अर्थात् घी व शहद विषम मात्रा में) मिलाकर सुबह-शाम ले ।
- अनार का रस पीने तथा ‘ॐ नमो नारायण’ का जप करने से उलटी दूर होती है ।
What to Eat during 4th Month Pregnancy in Hindi
- इसमें प्रतिदिन 20 से 40 ग्राम मक्खन को धोकर छाछ का अंश निकालकर मिश्री के साथ या गुनगुने दूध में डालकर अपनी पाचनशक्ति के अनुसार सेवन करे ।
- इस मास में बालक का हृदय सक्रिय होने से वह सुनने-समझने लगता है बालक की इच्छानुसार माता के मन में आहार-विहार संबंधी विविध इच्छाएँ उत्पन्न होने से उनकी पूर्ति युक्ति से (अर्थात् अहितकर न हो) करनी चाहिए ।
What to Eat during 5th Month Pregnancy in Hindi
- इस महीने से गर्भ में मस्तिष्क का विकास शुरू हो जाने से दूध में 15 से 20 ग्राम घी ले या दिन में दाल-रोटी, चावल में 7-8 चम्मच घी ले । रात को 1 से 7 बादाम (अपने पाचनानुसार) भिगो दे, सुबह छिलका निकाल के घोंटकर खाये व ऊपर से दूध पीये ।इस महीने के प्रारंभ से ही माँ को बालक में इच्छित धर्मबल, नीतिबल, मनोबल व सुसंस्कारों का अनन्य श्रद्धापूर्वक सतत मनन चिंतन करना चाहिए । सत्संग व शास्त्र का भी मनन-चिंतन करना चाहिए ।
What to Eat during 6th Month Pregnancy in Hindi
- इन महीनों में दूसरे महीने की मधुर औषधियों में गोक्षुर चूर्ण का समावेश करे व दूध-घी से ले । आश्रम-निर्मित तुलसी मूल की माला कमर में धारण करे । इस महीने से सूर्यदेव को जल चढ़ाकर उनकी किरणें पेट पर पड़ें, ऐसे स्वस्थता से बैठकर उँगलियों पर नारियल तेल लगाकर बाहर से नाभि की ओर हलके हाथों से मसाज करते हुए गर्भस्थ शिशु को संबोधित करते हुए कहे : ‘जैसे सूर्यनारायण ऊर्जा, उष्णता, वर्षा देकर जगत का कल्याण करते हैं, वैसे तू भी ओजस्वी, तेजस्वी व परोपकारी बनना ।’माँ के स्पर्श से बच्चा आनंदित होता है । बाद में 2 मिनट तक निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए मसाज चालू रखे ।ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।। (यजुर्वेद : 36.3)रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिदता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥
(श्रीरामरक्षास्तोत्रम् : 37)रामरक्षास्तोत्र के उपर्युक्त श्लोक में ‘र’ का पुनरावर्तन होने से बच्चा तोतला नहीं रहता । पिता भी अपने प्रेम भरे स्पर्श के साथ गर्भस्थ शिशु को प्रशिक्षित करे ।
सातवें मास में स्तन, छाती व पेट पर त्वचा के खिंचने से खुजली शुरू होने पर उँगली से न खुजलाकर देशी गाय के घी की मालिश करनी चाहिए ।
Indian Diet Chart Plan for 8th and 9th Month Pregnancy in Hindi
- इन महीनों में चावल को 6 गुना दूध व 6 गुना पानी में पकाकर घी डालकर सुबह-शाम खाये अथवा शाम के भोजन में दूध-दलिया में घी डालकर खाये । शाम का भोजन तरल रूप में लेना जरूरी है ।गर्भ का आकार बढ़ने पर पेट का आकार व भार बढ़ जाने से कब्ज व गैस की शिकायत हो सकती है। निवारणार्थ निम्न प्रयोग अपनी प्रकृति के अनुसार करे ।आठवें महीने के 15 दिन बीत जाने पर 2 चम्मच एरण्ड तेल दूध से सुबह 1 बार ले, फिर नौवें महीने की शुरुआत में पुनः एक बार ऐसा करे अथवा त्रिफला चूर्ण, ईसबगोल इन में से जो भी चूर्ण प्रकृति के अनुकूल हो उसका सेवन वैद्यकीय सलाह के अनुसार करे ।
- पुराने मल की शुद्धि के लिए अनुभवी वैद्य द्वारा निरूह बस्ति व अनुवासन बस्ति ले ।चंदनबला लाक्षादि तैल से पीठ, कटि से जंघाओं तक मालिश करे और इसी तैल में कपड़े का फाहा भिगोकर रोजाना रात को सोते समय योनि के अंदर गहराई में रख लिया करे । इससे योनिमार्ग मृदु बनता है और प्रसूति सुलभ हो जाती है ।
गर्भवती महिलाओं के लिए लाभप्रद पंचामृत :
- 1 चम्मच ताजा दही, 7 चम्मच दूध, 2 चम्मच शहद, 1 चम्मच घी व 1 चम्मच मिश्री को मिला ले। इसमें 1 चुटकी केसर भी मिलाना हितावह है । 9 महीने नियमित रूप से यह पंचामृत ले ।
- गुण : यह शारीरिक शक्ति, स्फूर्ति, स्मरणशक्ति व कांति को बढ़ाता है तथा हृदय, मस्तिष्क आदि अवयवों को पोषण देता है । यह तीनों दोषों को संतुलित करता है व गर्भिणी अवस्था में होनेवाली उलटी को कम करता है ।
- उपवास में सिंघाड़े व राजगरे की खीर का सेवन करे । इस प्रकार प्रत्येक गर्भवती स्त्री को नियमित रूप से उचित आहार-विहार का सेवन करते हुए नवमास चिकित्सा विधिवत् लेनी चाहिए ताकि प्रसव के बाद भी उसका शरीर सशक्त, सुडौल व स्वस्थ बना रहे, साथ ही वह स्वस्थ, सुडौल, सुंदर और हृष्ट-पुष्ट शिशु को जन्म दे सके । यह चिकित्सा लेने पर सिजेरियन डिलिवरी की नौबत नहीं आयेगी । प्रसूति के समय नर्स, डॉक्टर ऑपरेशन की बात करें तो मना कर दें । गाय के गोबर का 10 से 11 मिली. रस (भगवन्नाम जपकर) लेने से सिजेरियन डिलिवरी की नौबत नहीं आती। पूज्य आसारामजी बापू के उपदेश का लाभ लेनेवाले कई परिवारों के जीवन में यह लाभ देखा गया है ।